Tuesday, October 29, 2013

ब्रह्मा आदि की आयु का वर्णन || The Age of Lord Brahma



Below is the text from VISHNU PURAN describing the age of our HINDU Deities...

 
प्रथम अंश >> तीसरा अध्याय > ब्रह्मा आदि की आयु का वर्णन>>>

श्री मैत्रेयजी बोले – हे भगवन ! जो ब्रह्म निर्गुण, अप्रमेय, शुद्ध और निर्मलात्मा है उसका सर्ग आदि का कर्ता होना कैसे सिद्ध हो सकता है?
श्री पराशरजी बोले – हे तपस्वियों में श्रेष्ठ मैत्रेय ! समस्त भाव पदार्थों की शक्तियाँ अचिन्त्य ज्ञान की विषय होती हैं; [उसमे कोई युक्ति काम नहीं देती] अत: अग्नि की शक्ति उष्णता के समान ब्रह्म की भी सर्गादि – रचना रूप शक्तियाँ स्वभाविक हैं. अब जिस प्रकार नारायण नामक लोक पितामह भगवान ब्रह्माजी सृष्टि की रचना में प्रवृत होते हैं सो सुनो. हे विद्वन ! वे सदा उपचार से ही उत्त्पन्न हुए कहलाते हैं. उनके अपने परिमाण से उनकी आयु सौ वर्ष की कही जाती है. उस [सौ वर्ष] का नाम "पर" है, उसका आधा परार्ध कहलाता है.