This Stuti relates to the story of Raja Shwet ( राजा श्वेत ) in the Skand Puran.
"काल का विनाश करने वाले देवेश्वर, आप त्रिपुरासुर का संहार करने वाले हैं | प्रभो ! जगत्पते ! आपने कामदेव को जला कर उसे अंगहीन बना दिया है; तथा आप ही ने अत्यंत अद्भुत ढंग से दक्ष - यज्ञ का विनाश कर डाला था | महान लिंगरूप से आपने तीनों लोकों को व्याप्त कर रक्खा है | सम्पूर्ण देवतों और असुरों ने सबको अपने में लीन करने के कारण आपके स्वरूप लिंग कहा है | देवदेवेश्वर ! आपको नमस्कार है | विश्वमंगल ! आपको नमस्कार है | नीलकंठ रूप में आपको नमस्कार है | मस्तक पर जटा - जूट करने वाले ! आपको नमस्कार है | आप कारणों के भी कारण हैं ! आपको नमस्कार है | आप मंगलों के भी मंगल रूप हैं ! आपको नमस्कार है | बुद्धिहीनों के पालक ! आप ज्ञानियों के लिए भी ज्ञानात्मा हैं और मनीषी पुरुषों के लिए परम मनीषी हैं | विश्व के एकमात्र बंधु महेश्वर ! आप आदि देव हैं, पुराण पुरुष हैं तथा आप ही सब कुछ हैं | वेदान्त द्वारा आप ही जानने योग्य हैं | आपकी महिमा और प्रभाव महान है | महानुभाव आपके ही नामों और गुणों का सब ओर कीर्तन करते हैं | महेश ! आप ही तीनों लोकों की सृष्टि करने वाले हैं | आप ही इनका पालन और संहार भी करते हैं | आप ही सम्पूर्ण भूतों के स्वामी हैं |"
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