Tuesday, November 13, 2012

इन्द्र द्वारा लक्ष्मी जी की स्तुति | Laxmi Stuti by Indra

On the Diwali Night, I am sharing this Prayer of Goddess Laxmi, from the Vishnu Puran. After Samunder - Manthan, when Indra re-gained his kingdom ( Swarg ), He said this STUTI for the pleasure of Goddess Laxmi.


विष्णु पुराण > प्रथम अंश > नवम् अध्याय >
इन्द्र बोले -- सम्पूर्ण लोकों की जननी, विकसित कमल के सदृश नेत्रों वाली, भगवान विष्णु के वक्ष:स्थल में विराजमान क्मालोद्भ्वा श्रीलक्ष्मी देवी को मैं नमस्कार करता हूँ।

Sunday, November 11, 2012

देवी लक्ष्मी की उत्पत्ति । Birth of Devi Laxmi


In Vishnu Puran, the great Saint PARÁŚARA tells MAITREYA that Goddess LAXMI was the daughter of Bhrigu and Khyati. Surprised by this statement, MAITREYA questions that he has heard that LAXMI was born out of the sea of milk during the 'Saagar-Manthan'.

विष्णु पुराण > प्रथम अंश > आठवाँ अध्याय >
भगवान रूद्र ने प्रजापति दक्ष की अनिन्दिता पुत्री सती को अपनी भार्या से ग्रहण किया। ।। 12 ।। उस सती ने दक्ष पर कुपित होने के कारण अपना शरीर त्याग कर  दिया था। फिर वह मेना के गर्भ से हिमाचल की पुत्री ( उमा ) हुई। भगवान शंकर ने उस अनन्यपरायणा उमा से फिर भी विवाह किया। ।। 13 -14 ।।  भृगु के द्वारा ख्याति ने धाता और विधाता नामक दो देवताओं को और लक्ष्मी जी को जन्म दिया जो भगवान विष्णु की पत्नी हुई। ।। 15 ।।

Thursday, November 1, 2012

शत रुद्रिय ( स्कन्द पुराण ) | Shat Rudriya from Skand Puran

शत रुद्रिय ( स्कन्द पुराण )

स्कन्द पुराण के अनुसार  जो प्रतिदिन प्रात:काल उठकर शत रुद्रिय का पाठ करेगा, उस पर प्रसन्न हो भगवान शिव उसे सभी मनोवाच्छित वर प्रदान करेंगे। पृथ्वी पर इससे बदकर पवित्र दूसरी कोई भी वस्तु नहीं है। यह सम्पूर्ण वेदों का रहस्य है। शतरुद्रिय का पाठ करने पर मन, वाणी और क्रिया द्वारा आचरित समस्त पापों का नाश हो जाता है। जो शतरुद्रिय का जप करता है, रोगातुर हो तो रोग रोग से छूट जाता है, कारागार में बंधा हुआ हो तो बंधन से छुटकारा पा जाता है और भयभीत हो तो भय से मुक्त हो जाता है। इन सौ नामों का उच्चारण करके जो विद्वान उतने ही फूलों द्वारा भगवान शिव की पूजा करता है और सौ बार उन्हें प्रणाम करता है, वह सब पातकों से मुक्त हो जाता है। ये सौ लिंग, सौ इनके उपासक और सौ इन लिंगों के नाम ये सभी सम्पूर्ण दोषों का नाश करने वाले माने गये हैं।